**मिथिलाक बात** बनल अष्टदल अड़िपन आँगन, माछ, मखान, पान अछि प्रचलित। चरण छूबि आशीश लैत छैथ, जतय बृद्ध केँ एखनहुँ धरि नित।

सोमवार, 20 अप्रैल 2009

मोनक इच्छा

मोनक इच्छा
की देब पिया बाजू हमरा
एहि बेर अहाँ उपहार कहू।
प्रेमक निर्मल संसार बसल
की की करबै श्रृंगार कहू।
ज्ञानक सागर छी अहाँ पिया
हम मात्र ज्ञान के छी दासी।
अहाँ ज्योति धवल हम छी रजनी
प्रतिक्षण हम प्रेमक छी प्यासी।
प्रमक बंधन इ बनल रहय
कर जोडि़ देब लग विनय करू।
की देब पिया बाजू हमरा
एहि बेर अहाँ उपहार कहू।
अछि मोन पहिल जे भेट भेल
महिना छल अंत नवंवर के।
सजि एहन अहाँ एलौ, लागल
छथि कोनो देब इ अम्बर के।
माथक सिन्दुर नित रहय लाल
आशीश दिय॔ की आओर कहू।
की देब पिया बाजू हमरा
एहि बेर अहाँ उपहार कहू।
नहि लेब पिया एहिबेर कोनो
पायल, मुनरी, झुमका, कंगना।
अछि एक मात्र इच्छा मोनक
सुन्दर ललना खेलय अंगना।
कहिया आँचर मे नव श?शु के
गुँजत किलकारी आब कहू।
की देब पिया बाजू हमरा
एहि बेर अहाँ उपहार कहू।

कोई टिप्पणी नहीं:

ब्लॉगकेँ डिजाइन बिमल चंद्र झा द्वारा कएल गेल अछि !

 
मिथिलाक बात ... (c) मैथिल आर मिथिलाप्रिय जालवृत्त प्रेमी पाठकगण, ' मिथिलाक बात ' जालवृत्तक लोकप्रियताकेँ देखैत जालवृत्तक लेल एक अलग ई-मेल ID बनाएल गेल अछि। अपने सभसँ अनुरोध जे जालवृत्तक प्रति अपन परामर्श-टिप्पणी ब्लॉग पर प्रकाशित करबाक लेल, अपन रचना आ कि सदस्यता लेल जालवृत्तक टीमसँ mithilakbibhuti@gmail.com पर संपर्क करी।
चिट्ठाजगत Submit Your Site To The Web's Top 50 Search Engines for Free! Hindi Blogs. Com - हिन्दी चिट्ठों की जीवनधारा Hindi Blog Tips

मिथिलाक बात मिथिलाक पवित्र भूमि मधुबनी सँ प्रकाशित