मिथिला राज्य
फुसिये के अछि हल्ला मिथ्ािला राज्य लेब हम।
मैथिल मिथिला मैथिलीक उद्धार करब हम।
भेल एखन धरि की, जकरा उपलब्धि कहब हम।
भाषण कविता पाठ मंच पर कते पढ़ब हम।
पँाच सात टा पत्र पत्रिका लीखत की की।
देत कते उपदेष कते के छापत की की।
आइ मैथिली मे छथि सगरो जतबा लेखक।
मात्र मैथिली मे एखनो ओतबे छथि पाठक।
तखन कोना समृद्ध हएत ई भाषा कहियो।
दस पाँच टा लोक करत की असगर कहियो।
नहि अछि लीखल कतौ मैथिली बाट-घाट पर।
नहि टीशन पर नहि बजार मे कतौ हाट पर।
सत्य कहै छी आइ जरूरति अछि विद्रोहक।
आर पार के युद्ध संग जौं भेटय सबहक।
नहि उठतै जहिया धरि ओ हुँकार गाम सँ।
नहि हटतै जा धरि किछु लोकक स्वार्थ नाम सँ।
जा धरि जन-जन शंखनाद नहि करत बाट पर।
जा धरि नेन्ना किलकारी नहि देत खाट पर।
ता धरि किछु नहि हएत ध्यान मे रहब कते दिन।
उठू लिअ संकल्प विजयी हम हएब एक दिन।
तखने भेटत जे अधिकारक बात करै छी।
मान चित्र मे भेटत मिथिला राज्य कहै छी।
सतीश चन्द्र झा