**मिथिलाक बात** बनल अष्टदल अड़िपन आँगन, माछ, मखान, पान अछि प्रचलित। चरण छूबि आशीश लैत छैथ, जतय बृद्ध केँ एखनहुँ धरि नित।

मंगलवार, 19 अक्तूबर 2010

kavita

चुनाव
बजि उठल चुनावक रणभेरी
पसरल जय हो! के तुमुल नाद।
सभटा दल उतरल महल छोरि
क‘ उठल विजय कें शंखनाद।

हिंसा,हत्या,तृष्णाक आगि
पसरत सगरो जड़तै बिहार।
इतिहास बनत छल बल धन सँ।
नहि जानि ककर छै जीत हार।

साकांक्ष मेल जन जन सगरो
भय सँ जीवन की त्राण लेत !
ई धृ्र्रणा द्वेष के महापर्व
नहि जानि कते के प्राण लेत !

प्रतिपक्ष अगिलका सरकारक
गद्दी लए अछि बुनि रहल जाल।
सत्ता सुख सबके परम लक्ष्य
के देखि सकत रौदी अकाल !

भरि गाँव टोल सगरो घुमि घुमि
बोधत कहुना जीतत चुनाव !
सामथ्र्यवान के संग लेत
भूखल सँॅ एकरा की लगाव !

सम दोष एक दोसर के द‘
छीनत भविष्य के पाँच साल।
सुख दुख ओहिना जीवन ओहिना
जहिना छल बीतल पाँच साल !

सतीश चन्द्र झा
मधुबनी

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