**मिथिलाक बात** बनल अष्टदल अड़िपन आँगन, माछ, मखान, पान अछि प्रचलित। चरण छूबि आशीश लैत छैथ, जतय बृद्ध केँ एखनहुँ धरि नित।

सोमवार, 11 मई 2009

नब कविता


सोनाक पिजरा

खौंइछा मे ल’ क’ दूभि धान।
पेटी, पेटार, पौती, समान।
जा रहल आइ छी सासुर हम
अछि कोना अपन लेए बेकल प्राण।

हमरा बिनु माय कोना रहतै।
बाबू केर सेवा के करतै।
नीपत चिनबार कोना भोरे
जाड़क कनकन्नी सँ मरतैं।

अछि केहन देवता के बिधान।
ल’ कोना जाइत अछि संग आन।
एखने उतरल छल साँझ पहिल
भ’ कोना गेल एखने विहान।

छल केहन अबोधक नीक खेल।
कनियाँ पुतरा मे मग्न भेल।
आमक टिकुला लय दौड़ि गेलहुँ
अन्हर बिहारि मे सुन्न भेल।

कखनो फूलक बनि रहल हार।
ल’ एलहुँ बीछि क’ सिंगरहार।
झूठक पूजा, माटिक प्रसाद
भरि गाम टोल देलहुँ हकार।

जे भेल मोन मे केलहुँ बात।
के रोकत जखने भेल प्रात।
भरि खौंछि तोड़ि क’ भागि एलहुँ
ककरो खेतक किछु साग पात।

ई समय कोना क’ बढ़ल गेल।
रहलहुँ हम सूतल निन्न भेल।
नहि भान भेल कहिया अपने
जीवन ओरिया क’ ससरि गेल।

बाबू सँ मा किछु केलक बात।
निशब्द इशारा उठा हाथ।
ल’ अनलथि जा क’ पिया हमर
ललका सिन्दुर पड़ि गेल माथ।

देखलहुँ पाहुन छथि अनचिन्हार।
निशिभाग राति सगरो अन्हार।
भेटल किछु नव श्पर्श पहिल
मन बहकि गेल उतरल श्रृंगार।

किछु सत्य भेल मोनक सपना।
भेटल मुँह बजना मे गहना।
हमहूँ देलियन्हि सर्वस्व दान
ई मोन हृदय जे छल अपना।

अछि केहन विवाहक ई बंधन।
स्नेहक संबंध बनल प्रतिक्षण।
अपरिचित दू टा चलल संग
विश्वासक बान्हल डोर केहन।

संगी साथी सभटा छूटल।
की बिसरि सकब जीवन बीतल।
ओ घर द्वारि आँगन दलान
सभ सँ छल स्नेह कोना टूटल।

कनिते कनिते औरियौन भेल।
पाहुन संग हमर चुमौन भेल।
भगबती घ’र सँ बिदा होइत
दू टा कहुना समदौन भेल।

दृग जल सँ गंगा उतरि गेल।
ममता विधान सँ हारि गेल।
बाबू दलान पर रहथि ठाढ़
मा ओलती मे निष्प्राण भेल।

खोंता मे पक्षी सिहरि गेल।
दाना अहार छल बिसरि गेल।
स्तब्ध भेल छल गाछ पात
पछबा बसात छल द्रवित भेल।

भारक समान किछु छल राखल।
भरि गाँव टोल सौसे कानल।
गामक सीमान धरि बहिना सभ
दौड़ल बताह भ’ छल कानल।

हम प्रात पहुँचलहुँ हुनक गाम।
जे अछि नारी केर स्वर्ग धाम।
नहि रहल एतय पहिलुक परिचय
भेटल हुनके सँ अपन नाम।

कोबर मे बैसल छी अनाथ।
राखथि जे बुझि क’ प्राण नाथ।
क’ देलक बिदा जखने परिजन
दुख केर कहबै किछु कोना बात।

बान्हल चैकठि सँ आब रहब।
दुख सुख कहुना अपने भोगब।
नैहरि सासुर केर मान लेल
कर्तव्यक सभ निर्वहन करब।

अछि उजड़ि गेल ओ पहिल वास।
भेटल अछि सोना कें निवास।
टुटि गेल पांखि, अछि भरल आँखि
पिजरा सँ की देखू अकाश।

शनिवार, 2 मई 2009

सोसाइटी फॉर कम्प्यूटर एजुकेशन सकिर्ल

सोसाइटी फॉर कम्प्यूटर एजुकेशन फ़ोन - 2236६८ मोबाइल - 9386258515

bimal chandra jhasatish chandra jhaLate Madhusudan jha

सोसाइटी फॉर कम्प्यूटर एजुकेशन
फ़ोन - 2236६८ मोबाइल - 9386258515
सोसाइटी फॉर कम्प्यूटर एजुकेशन फ़ोन - 2236६८ मोबाइल - 9386258515
मिथिलाक हृदय स्थली मधुबनी मे स्व0 राजीव गाँधीक सपना के साकार करय लेल एकटा संस्था 1993 मे खोलल गेल जकर उद्श्य गाम घरक युवा वर्ग के कम्प्यूटर शिक्षा द’ क’ देशक प्रगति मे जोड़बाक प्रयास छल। ई संस्थान छल सोसाइटी फाॅर कम्प्यूटर एजुकेशन सर्किल। एकर संस्थापक श्री बिमल चन्द्र झा आ सतीश चन्द्र झा छथि।ई संस्थान 1993 सँ आइ धरि अविरल धार जेंकाँ सब तरहक बाधा के पार करैत कखनो मंद त’ कखनो तेज गति सँ बहैत रहल अछि।एखन धरि एहि संस्थान सँ हजारो हजार युवा वर्ग कम्प्यूटर के उचित शिक्षा ग्रहण करैत नीक नीक पद पर कार्यरत छथि। एतय कम्प्यूटर क्षेत्राक बहुत रास शिक्षा देल जाइत अछि जे वर्तमानक परिपेक्ष मे उपयोगी होइक आ नव नव क्षेत्रा मे कम्प्यूटर के बढ़ि रहल मांग के पूरक सेहो होइक।ई संस्थान सत्त समाजक कमजोर वर्ग, महिला,विकलांग , हरिजन आदि के हितैसी बनल उचित सहयोग करैत रहल। एहि संस्थान के बैचारिक रूप सँ सहयोग करय बला किछु आदरणीय लोकनि सेहो याद अबैत छथि।
मधुसुदन झा
ग्राम + पो0 - नगवास,
जिला - मधुबनी
ब्लॉगकेँ डिजाइन बिमल चंद्र झा द्वारा कएल गेल अछि !

 
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मिथिलाक बात मिथिलाक पवित्र भूमि मधुबनी सँ प्रकाशित